Friday 19 January 2018

कुछ बदलकर नजर को यूँ देखो तो
सच भी नजर आ जाए , झूठ भी नजर आ जाए !

शिकवे कर के उनसे क्या करोगे
आज है , क्या पता कल कहाँ चला जाए !

इज्जत चाहिए हर किसी को यहाँ
थोड़ी उसको दे दो , तो खुद को भी मिल जाए !

जज्बात है , तो छुपा कर क्या करोगे
जता दो, तो शायद एक कहानी बन जाए !

लड़कर यहाँ कौन काम हुआ है आसान
साथ बैठो तो शायद कोई हल निकल जाए !

बेपरवाह रहो , हवा के रुख की पहचान तो होगी
ना जाने कौन कब तुम्हें यूँ इस्तेमाल कर जाए !

यहाँ किसी की समीक्षा करना है ना मुश्किल
कोशिश करो कि कोशिश से कोई बात बन जाये !

"अभिलाष"के मासूम दिल से अब क्या पूछोगे  
जो पढ़ लो उसे , तो शायद वो समझ में आ जाए !!

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