Thursday 31 May 2018

खत.....

खत !, मैंने एक खत लिखा उसे
मैंने अपनी भावनायें लिखा उसे
मैंने अपनी सोच लिखा उसे
मैंने अपना अरमां लिखा उसे
मैंने वो पुकार लिखा उसे

मगर , मगर वो तो खत है
खत है , जो एक कागज है
स्याही से लिपटा कागज है
वो जज्बातों का आकार है
आकार शब्द है उनपे
शब्दों का अर्थ है उनपे
एक समझ की अभिलाषा है उनकी
कोई पढ़े , इत्ती सी चाहत है उनकी
मगर , कौन पढ़ेगा उसे ?

खत !, मैंने एक खत लिखा
पहला अक्षर उसका नाम लिखा
मगर मोबाइलों के दौर में खत की कद्र कहाँ
मेरे और मेरे एहसासों की उनको कद्र कहाँ

खत !, मैंने जो एक खत लिखा
मेरे बटुए की रौनक है अब वो !

Monday 28 May 2018

चाहत बहुत है !

क्यों करते हो बेवफाई ,
दिल रोता बहुत है
चाहा है टूटकर इस कदर कि
उनमें वफ़ा बहुत है !

जमाने में छोड़कर खुद को
तुम्हें अपनाया बहुत है
जो ठुकराया है लोगो ने
दिल को समझाया बहुत है
रह कर बेपरवाह खुद मगर
परवाह किया बहुत है
क्यूँ ठुकराते हो किसी दिल को
इसमें चाहत बहुत है !

जिसकी नजरों ने सींचा है तुम्हें
शब्द जिनके आसक्त करता है तुम्हें
जिनके ख्यालों में तेरी अदायें ढलती है
जिनके मन चित्र में केवल तू पलती है
चाहा है जिसने सिर्फ और सिर्फ तुम्हें
माना है जिसने अपना आदिशक्ति तुम्हें
जिनके लिए लफ्ज तेरा आदेश है 
जिनके लिए यौवन तेरा चरितार्थ है
क्यूँ दूर रहना चाहते हो ऐसे दिल से
इस दिल में इल्तजा बहुत है !

मिलता है जग में सबकुछ यहाँ मगर
सच्चे प्यार की कमी बहुत है
सब चाहते हैं खुश रहना यहाँ मगर
खुशियों की कमी बहुत है
दो दिल जुड़ जाये तो हर्ज कैसा फिर
तन्हा दिल की तादाद बहुत है
जो ये एक दिल है , मानो तेरा ही है
तेरे लिए इसमें इज्जत बहुत है

ख्वाब भी अपना माना है तुम्हें
नींद ने भी सहचर चुना है तुम्हें
ये जिस्म भी तेरे रूह का आदि है
सुकून भी तेरे चौखठ का आदि है
इश्क ने अपना अस्त माना है तुम्हें
खोकर सबकुछ जैसे पाया है तुम्हें
साँसें भी अब तुझमें बसने लगी है
जी भी तुमसे ही लगने लगी है
जो ये दिल है, है ये बेताब बड़ा
इसमें तू जँचती बहुत है !

इस जग में राग-द्वेष बहुत है
इश्क में यहाँ संघर्ष बहुत है
क्यूँ  हो दूर ऐसे दिल से
जिसने दिया तेरे लिए इंतहा बहुत है ! 

Friday 18 May 2018

वो शब्द मेरे कहते हैं ....

जो ना हम कह पाए
वो शब्द मेरे कहते हैं
जो ना हम जी पाए
वो शब्द मेरे कहते हैं

उलझनों का है एक कारवाँ
विचारों का है एक कारवाँ
बीच में मैं यूँ फँसकर
असमंजस में यूँ फँसकर
कह दिया हूँ कुछ मगर
फिर भी कुछ ना कहा
अब जो बचे खुचे हैं
वो शब्द मेरे कहते हैं

तुम भी समझो जो कहते हैं
जियो जैसे शब्द मेरे जीते हैं
जो ना हम कह पाए
वो शब्द मेरे कहते हैं !

Saturday 12 May 2018

अभी बाकी है ......

अभी बाकी है ,
तुमसे मोहब्बत करना 
तुमसे और ज्यादा मोहब्बत करना 

अभी बाकी है , 
तुमसे इजहार करना , 
वो इल्तजा , वो प्यारी बातें करना 

अभी बाकी है ,
एक कहानी का बनना 
मेरा प्रिय बनना , तुम्हारा प्रेयसी बनना 

अभी बाकी है ,
आँखों का तकरार होना 
साँसों की गुफ्तगू होना 

अभी बाकी है ,
बिन कहे बातों का समझना 
ख्वाबों का दिल के आँगन पलना 

अभी बाकी है ,
एक दूजे पे हक़ जताना 
मीठी नोक-झोंक का होना 

अभी बाकी है ,
तुम्हारा मेरा होना , मेरा तुम्हारा होना 
तुम से आप का होना 

अभी बाकी है ,
मेरा सँवरना , तुम्हारा सँवरना 
हमारे रिश्तों का सँवरना 

अभी बाकी है , 
एक जुनून बाकी है 
तुम्हारे मोहब्बत का जुनून बाकी है !

रह गयी फिर

रह गयी फिर ,
फिर वो लम्हें अधूरी , वो बातें अधूरी
तुम अधूरी , तुम्हारी बातें अधूरी

तुम भी हो , मैं भी हूँ , कुछ है मगर
ना पूरा मैं समझा , ना तुम समझ पायी
कुछ था , जो कहना था , सिर्फ तुमसे
कुछ कह गए , कुछ रह गए
और रह गयी फिर ,
दो साँसों की गुफ्तगू अधूरी

नासमझ तुम भी हो , नासमझ मैं भी हूँ
बेवजह तुम भी हो , बेवजह मैं भी हूँ
मगर जो है , कुछ है , दिल का है
थोड़ा तुमसा है , थोड़ा मुझसा है
है हम दोनों के ही दिल में है
मगर अधूरा है , हाँ अधूरा है

सखा है कोई तुम्हारा , रागिनी है कोई मेरी
जो शिकवा है तुम्हारा , वो इल्तजा है मेरी 
है , स्पष्ट है मगर , अनजाना सा राज है
खबर है तुमको भी , खबर है मुझको भी
फिर भी वो राज है ,  बस वही एक बात है
कितने कर गए , कितने जी गए
मगर रह गयी फिर भी
हमारी वो पहचान अधूरी 

रह गयी फिर ,
मेरी बातें , मेरी आरजू
मेरे ख्वाब , मेरे ख्याल
फिर से , फिर से अधूरी !!