वो कहते हैं शिकवे हैं हमसे , पर प्यार उसी से है,
उलझन भरी इस दिल को आज इकरार उसी से है ,
धरती और बारिश की वह पहली बूँद की इश्क़ समझ ना पाया कभी-
और आज कहते हैं दीवानगी ये इश्क़ की उसी से है ,
वह कहते हैं, उसकी झुकी नज़र को हम निगाहें कहते है ,
बिखेरे जो जुल्फ़े वो आज यहाँ सावन की घटा लगते है ,
धरती और बारिश की वह पहली बूँद की इश्क़ समझ ना पाया कभी-
आज फिर भी गर्व से कहते हैं, उसकी आँखोँ में इश्क़ ढूँढ़ते है,
वह कहते हैं,हम मयस्सर शमा में चिराग ढूँढ़ते है ,
अपनी ज़िंदगी में होने को उसपर फ़ना चाहते है ,
धरती और बारिश की वह पहली बूँद की इश्क़ समझ ना पाया कभी-
फिर भी आज चाहत में चाहना एक नाम चाहते है,
वह कहते हैं , उसकी गालोँ से लाली सूरज उधार लेते है,
उसकी रसीली होठोँ से ये दिल इक मिठास उधार लेते हैं ,
धरती और बारिश की वह पहली बूँद की इश्क़ समझ ना पाया कभी-
और आज इस दिल के रिश्ते में एक इश्क़ एक जूनून गढ़ते हैं ,
वह कहते हैं, बारिश की पहली बूँद को धरती से प्यार है ,
दिल न है दोनो के पास फिर भी आज इक इकरार है ,
हम तो है दिलवाले , उस दिल से हमें प्यार है … प्यार है ....प्यार है .......
उलझन भरी इस दिल को आज इकरार उसी से है ,
धरती और बारिश की वह पहली बूँद की इश्क़ समझ ना पाया कभी-
और आज कहते हैं दीवानगी ये इश्क़ की उसी से है ,
वह कहते हैं, उसकी झुकी नज़र को हम निगाहें कहते है ,
बिखेरे जो जुल्फ़े वो आज यहाँ सावन की घटा लगते है ,
धरती और बारिश की वह पहली बूँद की इश्क़ समझ ना पाया कभी-
आज फिर भी गर्व से कहते हैं, उसकी आँखोँ में इश्क़ ढूँढ़ते है,
वह कहते हैं,हम मयस्सर शमा में चिराग ढूँढ़ते है ,
अपनी ज़िंदगी में होने को उसपर फ़ना चाहते है ,
धरती और बारिश की वह पहली बूँद की इश्क़ समझ ना पाया कभी-
फिर भी आज चाहत में चाहना एक नाम चाहते है,
वह कहते हैं , उसकी गालोँ से लाली सूरज उधार लेते है,
उसकी रसीली होठोँ से ये दिल इक मिठास उधार लेते हैं ,
धरती और बारिश की वह पहली बूँद की इश्क़ समझ ना पाया कभी-
और आज इस दिल के रिश्ते में एक इश्क़ एक जूनून गढ़ते हैं ,
वह कहते हैं, बारिश की पहली बूँद को धरती से प्यार है ,
दिल न है दोनो के पास फिर भी आज इक इकरार है ,
हम तो है दिलवाले , उस दिल से हमें प्यार है … प्यार है ....प्यार है .......