वो लड़की …………
-अभिलाष कुमार पासवान
थी नज़र उपवन की सुमन पे , तभी दिखी मुझे वो लड़की ,
हल्की सी मुस्कराहट कितनी प्यारी उसकी , भा गयी मुझे वो लड़की ;
ना कोई उमंग , न कोई जुनून प्यार का, था इस दिल में,
बस अपनी लबोँ पे ला हंसी , मुझको दीवाना बना गयी वो लड़की ;
उसके चेहरे का नूर बड़ी प्यारी है , उससे भी प्यारी लगती वो लड़की ,
उसके दो आँखोँ में दिखती शरारत ,नज़रें चुराकर कायल कर गयी वो लड़की ;
क्या यही है दीवानगी , यही है आशिक़ी , पुछूं हर बार दिल से ,
उसकी मुस्कराहट सितम ढा गए , मुझे आकर्षित कर गयी वो लड़की ;
अब जो नींद आ जाये गर , सपनोँ में भी दिखती वो लड़की,
रहे जो अब आँखेँ खुली , नज़र को सामने चाहिए वो लड़की;
ये तो बस मेरे दिल का हाल है , उसके दिल की खबर नहीं यहाँ ,
खुद की हालत कितनी भी बिगड़ जाये , हमेशा सोचता रहता कैसी होगी वो लड़की;
देख के उसके गोरे गालोँ को , मानो स्पर्श करने बुलाती वो लड़की,
वो ओठो की मीठी लाली, मानो चूमने को पास बुलाती वो लड़की;
रूप की उसकी क्या व्याख्या करे कोई , उससे ज्यादा कोई रूपवान नहीं ,
प्रकृति की शीतल छाया उसके चेहरे पे , मानो छॉंव देने पास बुलाती वो लड़की ;
आँखो में जो ना हो काजल उसके , मानो अधूरी है वो लड़की ,
बहुत ही भोली सूरत है उसकी , बड़ा ही मनभावन है वो लड़की;
कैसे जगा गयी एक एहसास वो इस दिल में , शायद उसे भी पता नहीं ,
भीड़ में तन्हा हो जाता हूँ , गर फ़िर कभी याद आ जाए वो लड़की;
ढूँढ लूँ दुनिया में चाहे जितनी हसीना , पर खूबसूरत है वही एक वो लड़की ,
है औरोँ से बिल्कुल जुदा , है बड़ी ही सादगी की कशिश वो लड़की;
बन ना जाए कहीँ मेरी कशिश , चाहता दूर रहे वो हरपल मुझसे ,
दिल भी है मज़बूर बड़ा , चाहूँ जितना दूर करना , उतनी ही पास आती वो लड़की;
अब तो बस चैन गुम गए ,अर्धनिद्रा में ला चुप हो गयी वो लड़की,
उसके चंचल मन के सामने ,दिल हार गया , मेरी आशिकी बन गयी वो लड़की;
कल क्या होगा किसने जाना , पर हमेशा ये दिल ढूँढेगा वो लड़की ,
ये दिल ढूँढेगा वो लड़की ....…