तेरा नाम लिखा ........
-अभिलाष कुमार पासवान
नज़र के पन्नों पे मैंने अपना अरमां लिखा
अपने आँसुओं के कलम से तेरा नाम लिखा
याद आ गए वो सारे पल गुज़रे तेरे सायों में
तेरी जुल्फो की घोर घटाओं में, तेरी बाँहों के दरिया में
तेरी जुल्फो की घोर घटाओं में, तेरी बाँहों के दरिया में
बन पंछी चला फिर उड़ने, बढ़ते पग में ही भ्रम टूटा
बनते-बिखरते सपने फिर याद आ गए तेरी यादों में
हूँ तो हीरो अब भी दिल का, बस तेरी नज़रों से ओझल हूँ
आते है अब भी अफ़साने घूम कर, बस तेरे चेहरे से ओझल हूँ
पूछता पता दिल भी रूप बदलकर, शायद तरस है इसे अपनी जां पर
बस ज़िंदा हूँ कुछ नग्मों के सहारे, बिन तेरे अब तो नग्मों से ओझल हूँ
मीठे गीत उतर आती है अब भी मन में, ना पा तुझे रूठी जाती है
अब तो आते सावन भी अक्सर, मगर आँखों में बादल दे जाती है
बरस-बरस बादल नैनों में भादो लाती है, पर किसे यहाँ परवाह दिल का
दिल भी होता है गिरफ्त कहीं, जब भी एक चेहरे की याद ताज़ा होती है
कितने रात बिता डाले ख्वाबों में, ख्वाबों में भी परवान लिखा
अपने आँसुओं की कलम से, बस तुझे ही एक पैगाम लिखा