Sunday 29 June 2014


yeh ishq kaisi ...................................


बैचैनी  ये इश्क़ की पल -पल तड़पा जाती है बेखबर ,
दुआ बन इश्क़ के संग उसके चल पड़ा ,फिर भी नहीं उस दिल को खबर

थे तन्हा  किसी मोड़ पर हम बन साथी उसके संग हो आएं
सफर था ये इश्क़ का ,बेखबर सा मैं ,तन्हाई संग ले आएं
रंगरलियाँ ये चार दिनों की दे जाए दर्द का सौगात कभी
कभी हम उनके -कभी वो मेरे ,बस संग अपने एक गुमनाम ज़िन्दगी ले आएं ………

थी पुरातन ख्याल सही, पर प्यार नूतन ले हम आएं
पीने को दो घूँट अश्रु ,छुपा भावना उसके लबों  पर हंसी ले आएं
लहर बन हर वो बूँद दर्द समुन्दर का छुपा जाए इस जहाँ में
दो पल उसके -दो पल मेरे थे ,बस हर पल में नाम एक-दूजे के लिख आएं.…… 

रुका ख्वाबों का कारवां जब हवा संग बन ख्वाब हो आएं
बन किस्मत के साक्षी तब उसे ही उसके सामने ले आएं
दर्द है उसे भी जिसमे कोई जान नहीं , बस नाम  कुछ और है
वो मेरे -हम उनके पहचान , बन उम्मीद अँधेरे जहाँ में  रौशनी ले आएं ……