-Abhilash Paswan
क्यूँ हो दिल में इतना तुम ग़म उठाए हुए
हारे मोहब्बत में खुद को छुपाए हुए
जो न था तेरा वो न तेरा हुआ
मौत को लगा गले किसको क्या हासिल हुआ
तू बता दे तो तेरे लिए मैं ताक़ीद करूँ
मुलाकातों का अदा आखिरी सजदा करूँ
इक बेवफ़ा से कर इतना प्यार क्या हासिल हुआ
जो न था तेरा वो न तेरा हुआ ....
चाँद खूबसूरत है मगर , चाँद में भी दाग़ है
हर चेहरे में सिमटा है राज़ , कोई न बेदाग़ है
बनाने से मुर्शिद किसी को पहले ये सोच लो
बनाने वालों का भी इश्क कभी न मुकम्मल हुआ
जो न था तेरा वो न तेरा हुआ ....
हिज्र में उसके , उसे याद करना छोड़ दो
अश्कों की दरिया में आँखों को भिंगोना छोड़ दो
मुलतवी हुई लम्हों से अब तुम मुँह मोड़ लो
जां को जां में रखकर सब ख़ुदा पे छोड़ दो
तराशें हैं ख़ुदा ने नूर और कई भी यहाँ
जो लगा लो दिल तो इस दिल का इलाज हुआ
जो न था तेरा वो न तेरा हुआ ....
इश्क न हो फिर तो , दिल की कोई कहानी नहीं
ज़िंदगानी में रहे याद फिर कुछ मुजवानी नहीं
ग़मज़दा दिल को जीकर यहाँ कुछ न हासिल हुआ
जो न था तेरा वो न तेरा हुआ ....