Saturday 4 November 2017

ये जिंदगी .....

कुछ ख्वाब है , कुछ हकीकत है
ये कुछ पल हैं , दोनों के ही है
एक दास्तां है , फिर ये जिंदगी
और, सवाल और जवाब , सफर है

एक अस्तित्व है , जो अस्तित्व में जा मिली
जो सफर थी कभी, मंजिल से जा मिली
हँसते-हँसाते ना जाने कितने नज्म छुए
रोते-मनाते ना जाने कितने लफ्ज़ छुए
कुछ सुने किस्से बने , कुछ रहस्य हो गए
कुछ तजुर्बा , वक्त के साथ ज्ञान बन गए
सांसें थी जब तक, कुछ समझें, कुछ ने समझाया  
कुछ के ठुकराया , कुछ ने साथ निभाया
कभी पीड़ा थी कुछ की , कभी कुछ सहज था
कभी समय से जंग रहा , कभी समय संग था
और क्या कहूँ , इतनी ही तो है जिंदगी -
कुछ ख्वाब है , कुछ हकीकत है
ये कुछ पल हैं , दोनों के ही है
एक दास्तां है , फिर ये जिंदगी !!