Wednesday 20 March 2019

फगुआ विरह

फगुआ है ये रंग बिरंगी ,
मौसम है पर उजला उजला,
जो तुम न हो संग में तो फिर
इस रंग का रंग है बदला बदला !!

बिन तुम्हारे अब तो दिन भी रात सी आधी आधी है
होली के रंग भी देखो अब तो सब सादी-सादी है
एक तुम्हारे न होने से मन मेरा खाली-खाली है
जिंदगी में जिंदा हूँ पर मैं , पर जैसे ये कव्वाली है
जो थे रंग तुम्हारे कल तक , आज है वो उजला उजला

जो थे आधे पौने थे पर , पर थे सब जरूरी थे
खुशियों के रंगों के छीटों के बिन वो अधूरे थे
रिश्तों की गर्मी थी पर , अना की ठंडक पूरी थी
रस्ते में जो छूट गया था , उसकी आज जरुरत थी
पर वक्त की अब रंजिश तो देखो , है सब बदला बदला

कुदरत की साजिश तो देखो , है खुश वो अलग कर के
जो खुशियाँ थी , उन्हें दर्द बनाकर , हँस रहा चुपके चुपके
पर तुम न यूँ दुःख में रहना , कट जायेगा ये पल हँसते हँसते
अगली होली साथ खेलेंगे , एक दूजे पे रंग मल मल के
वक्त जो बदल गया तो , मिजाज है सबका बदला बदला .....


Tuesday 15 January 2019

समय....

समय है , रुकता कहाँ है ,
मंजिल का पता नहीं मगर , 
फिर भी चलता है , 
हाँ , निरंतर चलता है। 

कोई नाम नहीं मिला ,
कोई पहचान नहीं मिला ,
सबने यही कहा , समय है , 
हाँ सच है , ये समय है। 

किसी ने अपना नाम नहीं दिया ,
मगर बाँट दिया इसको भी देखो , 
जो बीत गया भूत वो, जो है वो वर्तमान 
जिसका पता नहीं , वो है भविष्य। 

कुछ ने फिर से इसे बाँटा ,
किसी ने सुख किसी ने दुःख में बाँटा ,
बाँटा , अपने हिसाब से सबने बाँटा ,
मगर पूछा न कभी इससे इसका राय कभी। 

ये समय जो है न , समय है ,
हमसे ज्यादा दुनिया देखा है इसने ,
हम सब के स्वार्थ को चखा है इसने ,
शायद , इसलिए ठहरता नहीं किसी के पास। 

समय जो है न , अक्षर है ,
जो शाश्वत है , अक्षय है , 
मुसाफिर है हमारे सफर का ,
बस गंतव्य भर का साथी है।