मुश्क़िल कुछ होती नहीं ,चाहे तो जमाना आजमा ले
संकल्पित मन से बढ़े जो एक -बार ,शायद आसमां झुका ले
प्रयत्न कर जो हारे ,तो मानो मिली है सफलता
बीज सा गिरकर ,अंकुरित होने का आज खोज लो रास्ता
निग़ाहें टिका लो खुदपर,तुम ही हो मंजिल
मुकद्दर को छोड़ो ,किस्मत को आजमाते हैं बुजदिल
विफलता को देख जरा ,कह रही सफलता कि कहानी
मुक्कमल जहाँ में सफल हो तुम ,बस समझो विचारों की जुबानी
धैर्य एकाग्रता कि लालिमा से ,हम सभी हैं ओतप्रोत
चिंतन करो खुद पर ,अभी इस पक्ष के हो तुम नवजोत
मुश्क़िल कुछ होती नहीं,इसे दिल कि आवाज बना ले
कर्म प्रधान कि प्रकाष्ठा पर अपनी पहचान बना ले
मुश्क़िल कुछ होती नहीं, इसे अपना अभिमान बना ले
-अभिलाष कुमार पासवान
संकल्पित मन से बढ़े जो एक -बार ,शायद आसमां झुका ले
प्रयत्न कर जो हारे ,तो मानो मिली है सफलता
बीज सा गिरकर ,अंकुरित होने का आज खोज लो रास्ता
निग़ाहें टिका लो खुदपर,तुम ही हो मंजिल
मुकद्दर को छोड़ो ,किस्मत को आजमाते हैं बुजदिल
विफलता को देख जरा ,कह रही सफलता कि कहानी
मुक्कमल जहाँ में सफल हो तुम ,बस समझो विचारों की जुबानी
धैर्य एकाग्रता कि लालिमा से ,हम सभी हैं ओतप्रोत
चिंतन करो खुद पर ,अभी इस पक्ष के हो तुम नवजोत
मुश्क़िल कुछ होती नहीं,इसे दिल कि आवाज बना ले
कर्म प्रधान कि प्रकाष्ठा पर अपनी पहचान बना ले
मुश्क़िल कुछ होती नहीं, इसे अपना अभिमान बना ले
-अभिलाष कुमार पासवान