Monday 25 June 2018

वो प्यार था हमारा !

ना थे तुम मेरे , ना था मैं तेरा
मगर इक रिश्ता था हमारा
वो प्यार था हमारा !

ना तुम सही थे, ना हम गलत थे
जो था नहीं अनुकूल
वो वक्त था हमारा !

ना तुमको शिकवे थे, ना मुझको शिकायत थी
जो था कसूरवार तो
वो आँखें थे हमारा !

तुम कह नहीं पाए, मैं समझ नहीं पाया
जो रह गया खोया कहीं
वो इजहार था हमारा !

हम भी निकलें थे, तुम भी निकले थे
 जो मिला नहीं मंजिल से
वो सफर था हमारा !

जो था कहीं गुमा,  जो था कहीं चर्चित
जो सबको था विदित , जिससे थे हम अनभिज्ञ
वो दिल का बात था हमारा !

उम्र के राहों में , बस्ती गुजर गयी
जो खो गया कहानी में
वो प्यार था हमारा !


Tuesday 19 June 2018

इश्क को समझो .....

नदियों को पता है मंजिल समुन्दर है 
मगर प्यार किनारों से सफर भर करती है 
समुन्दर को पता है लहरों पे हक़ नहीं उसका 
मगर फिर भी नुमाइश उम्र भर करता है 

चाँद को देखो , चाँदनी भी उसकी नहीं 
फिर भी रौशन रातों को करती है 
बारिश को देखो , प्यार आसमां से कर भी 
तृप्त धरा को ही करती है 

हवा चाहकर भी खुद को रोक नहीं सकता 
फूल चाह कर भी सुगंध छुपा नहीं सकता 
ये दिल है , आना किसी पर लाजिमी है 
दिल चाह कर भी खुद को रोक नहीं सकता 

कौन कहता है , किसी को प्यार कर 
प्यार को पाना जरूरी है 
प्रकृति ने प्यार को निभाना सिखाया है 
यूँ कह देने से कोई वफा-बेवफा नहीं हो जाता 
इश्क को समझो , इश्क ने हमेशा ही 
दूसरों के लिए जीना सिखाया है !

Friday 15 June 2018

एक शरारत करने दो

एक शरारत करने दो
खुद से मुझको दो बातें करने दो
अभी नहीं तो कभी नहीं
कच्ची उम्र की एक गलती करने दो
एक शरारत करने दो  !

मैंने सपनों में तुमको देखा है
तुमको अपना होते देखा है
रूह की ना जिस्म की
आँखों का होते देखा है
नींदों में भी अब तुम होती हो
नजरों में भी तुम ही होती हो
अब तो खुलकर आहें भरने दो
एक शरारत करने दो !

जुल्फों से खेलने की चाह रही है
बारिश में संग भींगने की चाह रही है
रखूँ जो सर तेरी मखमली गोद में
तेरा बालों को सहलाने की चाह रही है
झुके नजरों से तुम , उठे नजरों से मैं
नैना थम चुकी जो उस प्यार के पल में
हमेशा वो जीने की चाह रही है
ख्वाहिश को दिल के आँगन आने दो
एक शरारत करने दो !

जो हो हाथों में तेरा हाथ कभी
बाहों में भरने की चाह रही है
एक छोटी सी चुम्बन तेरे माथे पे
कब से देने की चाह रही है
चुम्बन के उस प्यार के एहसास को
तेरे होने की चाह रही है 
ये जो हक है , अधिकार है
ये जो इज्जत है , विश्वास है
है मेरा मगर , तेरा भी उतना है
मेरा अभिमान को तेरा होने की चाह रही है
वक्त गुजर जाए , इससे पहले कुछ तो करने दो
एक शरारत करने दो !

लट को आँखों पे गिरते देखा हूँ
तुम्हें उसे सँभालते देखा हूँ
हाथ फिरे जब जब तेरे गालों पर
लटों को अपना बनते देखा हूँ
हो जो नजरें यूँ पास पास
साँसों को तेज होता देखा हूँ
होकर नजरों के इतने पास
खुद को असहज होते देखा हूँ
पर, साँसों की गर्मी जो एक दूजे को बाँध जाए
तोड़ बंधनों को लब जो लब के पास आ जाए
फिर लबों को चूमकर अपना बनाने दो
एक शरारत करने दो  !

इस उम्र में थोड़ा लड़कपन तो करने दो
एक शरारत करने दो !

Wednesday 13 June 2018

काश .........!

काश!
काश मैं वैसा ही होता
काश तुम वैसी ही होती 
काश ये पल वैसा ही होता
काश ये आज वैसा ही होता

मगर ये काश तो बस काश है
एक अफसोस है एक देरी की
एक दर्द है , एक नासमझी की
आज सच है , यहाँ मेरे होने की

काश कि वक्त थोड़ा ठहरा होता
काश कि उम्र थोड़ा समझदार होता
काश कि चिंता ना होती कल की
काश कि भ्रम ना होता कल का

देर कर दी थी मैंने जताने में
देर कर दी तुमने भी बताने में
देखो ये याद भी कितना बेवफा निकला
भुला दिया यथार्थ को खुद को बनाने में

काश कि वक्त को थोड़ा पढ़ना आता
काश कि ख़ामोशी को थोड़ा जानना आता
काश कि आँखें खुलती तेरी बाँहों में
काश कि मुझको तेरा होना आता

एक जिंदगी है तेरे बगैर , एक है संग तेरे 
एक समय का सच है , एक है ख्वाब मेरे 
एक पिटारा है गुफ्तगू का दो दिल में 
एक में चेहरा तेरा है , दूसरे में है मेरे 

काश कि वो वक्त फिर से आता
काश कि ये मोहब्बत एक बार और होता 
काश कि तुमको साँसों को गढ़ना आता 
काश कि मैं सिर्फ और सिर्फ तेरा होता 

काश! काश कि ये काश शब्द जेहन में ना होता 
काश! काश कि ये काश का कोई अर्थ ना होता ! 

Thursday 7 June 2018

देर कर दिया मैंने .....

देर कर दिया मैंने-
देर कर दिया मैंने तुमसे मिलने में 
देर कर दिया मैंने तुम्हें चाहने में
देर कर दिया मैंने चाहत जताने में
देर कर दिया मैंने तुम्हें बताने में
देर कर दिया मैंने-
हाँ , देर कर दिया मैंने
तुमसे और सिर्फ तुमसे मोहब्बत करने में

वो बात जो दिल में आयी थी
वो बात जो मैंने छुपाई थी
वो चेहरा जो नजरों में समाया था
वो एहसास जो रातों में जगाया था
था अनजान और नहीं भी
तुम थी दिल में और नहीं भी
पर देखो क्या कर दिया मैंने
हाँ, देर कर दिया मैंने
अपने इश्क की आगाज को समझने में

यूँ जिसे छुप छुप कर देखता था
जिसकी बातें चुप चुप कर करता था
आज जब जान गयी वो
इस इश्क को जान गयी वो
मगर देर हो गयी अब
किसी और की हो गयी अब
अपना पहला प्यार खो दिया मैंने
हाँ , देर कर दिया मैंने
अपने इश्क को यहाँ पाने में

जानती हो तुम भी , मैं भी
मुझसे बेहतर कोई नहीं
तुमसे बेहतर कोई नहीं
क्या सच में इतना देर कर दिया मैंने ?