Friday 23 March 2018

इश्क , बस इश्क है , इश्क विकल्प नहीं !!

जो हो तुम हो , तुम्हारा कोई विकल्प नहीं
इश्क , बस इश्क है , इश्क विकल्प नहीं

उम्र के संग-संग कुछ-कुछ  बदलने लगते हैं
हमको तुमको सबको, कोई न कोई,
कभी ना कभी, अच्छी लगने लगते हैं
जिससे कोई पहचान नहीं , जिसे हम जानते नहीं
फिर भी वो जैसे, अपना लगने लगते हैं
थोड़ी सी डर , फिर थोड़ी सी हिचक
फिर नैनों में वो बसने लगते हैं
उससे बेहतर कोई और नहीं, उसके जैसे कोई और नहीं
अपनी सारी दुनिया जैसे उस चेहरे में सिमटने लगती है
दिल के धड़कन फिर बढ़ते हैं , फिर रातें जगते कटतीं हैं
ख्वाब कहे या हकीकत कहे, दिन रात पहर सी लगती है
जो है बस वो है , दूजा कोई जज्बात नहीं
इश्क है , इस  इश्क में कोई स्वार्थ नहीं
इश्क ......

अब  दिल कुछ कुछ कहने लगते हैं
खुद की ख्वाबें बुनने लगते हैं
वो जाने-ना जाने इसकी परवाह कहाँ
खुद ही हाँ कह खुद ही शर्माने लगते हैं
कोई तो उनको कह दो जरा, कोई तो मुझको छेड़ो जरा
देखो मैं एक पंछी सा , कोई तो मुझको रोको जरा
खुद से जैसे अब हूँ शर्माने लगा
यूँ ही ना जाने क्या कुछ होने लगा
मेरा मन ख्वाबों में अब बहकता है
बिन तेरे ना कुछ अब अच्छा लगता है
जो हो तुम हो , तुमसे कोई बेहतर नहीं
इश्क  ........

यादों की चादर खोलता हूँ , सपनों का आँगन भरता हूँ
जो है तुमसे है पूरा है, बस इतना सा ही समझता हूँ
अब कोई कुछ रुचिकर नहीं , ये इश्क यहाँ बेकार नहीं
समझो तुम या ना समझो , बिन तेरे अब कोई नहीं
इश्क     ........

चाहे मिले वो , या ना मिले , पर दिल यही कहता है
जो हो तुम हो , तुम्हारा कोई विकल्प नहीं
इश्क , बस इश्क है , इश्क विकल्प नहीं !!