कभी सोचता हूँ , क्या सोचता हूँ , पता नहीं
कुछ उलझन साथ है , कुछ मायूसी साथ है
साथ कैसा है ये पल का , पता नहीं
ख़ुशी है किसी बात की या दुःख है , पता नहीं
कुछ निर्णय कल के मेरे , आज को देखकर
कुछ पूछती है मुझसे
क्या सही है , क्या गलत है , खुद की अंतरात्मा
जानना चाहती है मुझसे
कभी कहीं किसी शोरगुल में मशगुल था
कभी किसी एकाकी में मन लिप्त था
ये मस्ती पसंद दिल भी आज कहीं महरूम है
क्या है आज ख्वाहिश इसकी , पता नहीं
कुछ तो बात है जहन में , जो मन बैचैन है
कुछ तालीम कहीं अधूरी है, जो मौन है
कैसी इबादत है ये खुदा की , पता नहीं
कभी सोचता हूँ , क्या सोचता हूँ , पता नहीं
अभिलाष पासवान