फगुआ है ये रंग बिरंगी ,
मौसम है पर उजला उजला,
जो तुम न हो संग में तो फिर
इस रंग का रंग है बदला बदला !!
बिन तुम्हारे अब तो दिन भी रात सी आधी आधी है
होली के रंग भी देखो अब तो सब सादी-सादी है
एक तुम्हारे न होने से मन मेरा खाली-खाली है
जिंदगी में जिंदा हूँ पर मैं , पर जैसे ये कव्वाली है
जो थे रंग तुम्हारे कल तक , आज है वो उजला उजला
जो थे आधे पौने थे पर , पर थे सब जरूरी थे
खुशियों के रंगों के छीटों के बिन वो अधूरे थे
रिश्तों की गर्मी थी पर , अना की ठंडक पूरी थी
रस्ते में जो छूट गया था , उसकी आज जरुरत थी
पर वक्त की अब रंजिश तो देखो , है सब बदला बदला
कुदरत की साजिश तो देखो , है खुश वो अलग कर के
जो खुशियाँ थी , उन्हें दर्द बनाकर , हँस रहा चुपके चुपके
पर तुम न यूँ दुःख में रहना , कट जायेगा ये पल हँसते हँसते
अगली होली साथ खेलेंगे , एक दूजे पे रंग मल मल के
वक्त जो बदल गया तो , मिजाज है सबका बदला बदला .....