Saturday 6 November 2021
तेरे चेहरे में ही मेरा दिन रात क्यूँ है
Wednesday 3 November 2021
छोड़ कर मुझे यूँ , तुम कहाँ जाओगे
होकर रक़ीब के भी तुम, हो न पाओगे
हो कर बेवफ़ा यहाँ , तुम न जी पाओगे
करके बर्बाद मुझे, तुम क्या पाओगे
छोड़ कर मुझे यूँ , तुम कहाँ जाओगे
करके बर्बाद मुझे .....
हक़ तुझपे ही एक अपना मैंने माना है
जाना जितना भी किसी को तुमको ही जाना है
तकदीर मेरी तुझमें ही खुलती , तुझमें ही सिमटती है
तेरी धड़कनों को भी सुकूँ , मिल मुझसे ही मिलती है
होकर आज अनजान मुझसे , मुहाज़िर हो क्या पाओगे
करके बर्बाद मुझे .....
निगाहों की निगाहों से क्यूँ इतनी दूरी है
बिन अमावस के चाँद की ये कौन सी मजबूरी है
फलक पे खिलने वाली एक कहानी अभी है अधूरी
तेरे-मेरे साँसों के बंधन बिन ये न हो सकती है पूरी
सिलसिला मुलाकातों का तुम यूँ न तोड़ो
तोड़ो मेरा दिल मगर, जज्बातों की आस न तोड़ो
फासले कुछ पल के हैं मगर, कुछ पल की ही दूरी है
मुझे यूँ खोने की तुम्हें , ये कौन सी मजबूरी है
करके मेरी जां की तिजारत , तुम क्या पाओगे
करके बर्बाद मुझे ....
मेरे ख्यालों पे तेरी , तेरे ख्यालों पे हक़ मेरा है
तुम्हारे मेरे दिल में ही तो हम दोनों का बसेरा है
ठुकराकर ताकीद मेरी मोहब्बत का , भला क्या पाओगे
मुझ बिन जी कर भी तुम क्या जी पाओगे
करके बर्बाद मुझे ....
Tuesday 2 November 2021
Monday 5 July 2021
जो न था तेरा वो न तेरा हुआ ....
-Abhilash Paswan
क्यूँ हो दिल में इतना तुम ग़म उठाए हुए
हारे मोहब्बत में खुद को छुपाए हुए
जो न था तेरा वो न तेरा हुआ
मौत को लगा गले किसको क्या हासिल हुआ
तू बता दे तो तेरे लिए मैं ताक़ीद करूँ
मुलाकातों का अदा आखिरी सजदा करूँ
इक बेवफ़ा से कर इतना प्यार क्या हासिल हुआ
जो न था तेरा वो न तेरा हुआ ....
चाँद खूबसूरत है मगर , चाँद में भी दाग़ है
हर चेहरे में सिमटा है राज़ , कोई न बेदाग़ है
बनाने से मुर्शिद किसी को पहले ये सोच लो
बनाने वालों का भी इश्क कभी न मुकम्मल हुआ
जो न था तेरा वो न तेरा हुआ ....
हिज्र में उसके , उसे याद करना छोड़ दो
अश्कों की दरिया में आँखों को भिंगोना छोड़ दो
मुलतवी हुई लम्हों से अब तुम मुँह मोड़ लो
जां को जां में रखकर सब ख़ुदा पे छोड़ दो
तराशें हैं ख़ुदा ने नूर और कई भी यहाँ
जो लगा लो दिल तो इस दिल का इलाज हुआ
जो न था तेरा वो न तेरा हुआ ....
इश्क न हो फिर तो , दिल की कोई कहानी नहीं
ज़िंदगानी में रहे याद फिर कुछ मुजवानी नहीं
ग़मज़दा दिल को जीकर यहाँ कुछ न हासिल हुआ
जो न था तेरा वो न तेरा हुआ ....