-पासवान की कलम से
इस आसमां सा है ख्वाब मेरा ,
कुछ ख्वाबों को जीने तो दे
दो पग ही जमीं सही ,
गिरकर , संभलकर , थोड़ा चलने तो दे
जिंदगी है एक , पथ है अनेक
चाह की सीमा नहीं , संभावनाएँ है अनेक
हर राह की कोई मंजिल है
हर मंजिल के कोई सपनें है
हर द्वार से सोपान तक , ऊँच-नीच है अनेक
डर की विभीषिका से , हर हौसले से जुदा
हार-जीत से परे , बेबाक सा कुछ पल जीने तो दे
कुछ लम्हों सी है, साँसों की ये कहानी मेरी
इस थोड़े में कुछ थोड़ा , कुछ पल जीने तो दे
मेरी ये जिंदगी है बहुत खूबसूरत
आज खुलकर इसे मुझे जीने तो दे !