Tuesday 29 November 2016

जीने तो दे ......

-पासवान की कलम से 

इस आसमां सा है ख्वाब मेरा ,
कुछ ख्वाबों को जीने तो दे  
दो पग ही जमीं सही ,
गिरकर , संभलकर , थोड़ा चलने तो दे  
जिंदगी है एक , पथ है अनेक 
चाह की सीमा नहीं , संभावनाएँ है अनेक 
हर राह की कोई मंजिल है 
हर मंजिल के कोई सपनें है 
हर द्वार से सोपान तक , ऊँच-नीच है अनेक 
डर की विभीषिका से , हर हौसले से जुदा 
हार-जीत से परे , बेबाक सा कुछ पल जीने तो दे 
कुछ लम्हों सी है, साँसों की ये कहानी मेरी 
इस थोड़े में कुछ थोड़ा , कुछ पल जीने तो दे 
मेरी ये जिंदगी है बहुत खूबसूरत 
आज खुलकर इसे मुझे जीने तो दे !

Sunday 20 November 2016

जान सको तो जानो


                               -पासवान की कलम से 

क्या होता है एकाकी में ,
क्या होता है बेबाकी में ,
किस्मत भी है कहीं , और औरों का सलाह 
जान सको तो जानो -
क्या होता है खुद को  खुद में जीने में !

कभी लड़खड़ाए वो कदम ,
कभी डराए वो कदम ,
कभी वही कदम हौसला है , और कभी संघर्ष 
जान सको तो जानो -
क्या होता है अटकलों के बीच जीने में !

एक तरफ उदाहरणों का अंबार है 
एक तरफ हाशिये भी बैठा तैयार है 
है कहीं चुनौती वो  , और है वही कभी जुनून  
जान सको तो जानो -
क्या होता है जिद और जद को जीने में !

जिंदगी कभी बहुत छोटी है , है कभी बहुत बड़ी 
जान सको तो जानो -
कितनी मुश्किल और कितना आसान है इसे जीने में !