Tuesday 29 November 2016

जीने तो दे ......

-पासवान की कलम से 

इस आसमां सा है ख्वाब मेरा ,
कुछ ख्वाबों को जीने तो दे  
दो पग ही जमीं सही ,
गिरकर , संभलकर , थोड़ा चलने तो दे  
जिंदगी है एक , पथ है अनेक 
चाह की सीमा नहीं , संभावनाएँ है अनेक 
हर राह की कोई मंजिल है 
हर मंजिल के कोई सपनें है 
हर द्वार से सोपान तक , ऊँच-नीच है अनेक 
डर की विभीषिका से , हर हौसले से जुदा 
हार-जीत से परे , बेबाक सा कुछ पल जीने तो दे 
कुछ लम्हों सी है, साँसों की ये कहानी मेरी 
इस थोड़े में कुछ थोड़ा , कुछ पल जीने तो दे 
मेरी ये जिंदगी है बहुत खूबसूरत 
आज खुलकर इसे मुझे जीने तो दे !

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