-पासवान की कलम से
एक जतन करो , एक प्रयत्न के लिए
मेघ से घिरे आकाश की भी ऊँचाई बहुत है
यत्न करो , कल्पना से परे जीने के लिए
कुछ करो , कुछ करने के लिए !
करो, कुछ करो -
एक कदम बढ़ाओ , एक तजुर्बा के लिए
समय है सीमित , संचित अँधेरा घना बहुत है
पद चिन्ह छोड़ो , जग के अनुकरण के लिए
कुछ करो , एक मिशाल बनने के लिए !
करो, कुछ करो -
एक संवाद करो , एक सोच के लिए
समस्या के टीले पे समाधान खड़ा है
राह बनो , नदी का किनारा पाने के लिए
कुछ करो, एक अभिलाषा के लिए !
करो, कुछ करो -
कुछ अपने लिए , कुछ अपनों के लिए !
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