Friday 15 June 2018

एक शरारत करने दो

एक शरारत करने दो
खुद से मुझको दो बातें करने दो
अभी नहीं तो कभी नहीं
कच्ची उम्र की एक गलती करने दो
एक शरारत करने दो  !

मैंने सपनों में तुमको देखा है
तुमको अपना होते देखा है
रूह की ना जिस्म की
आँखों का होते देखा है
नींदों में भी अब तुम होती हो
नजरों में भी तुम ही होती हो
अब तो खुलकर आहें भरने दो
एक शरारत करने दो !

जुल्फों से खेलने की चाह रही है
बारिश में संग भींगने की चाह रही है
रखूँ जो सर तेरी मखमली गोद में
तेरा बालों को सहलाने की चाह रही है
झुके नजरों से तुम , उठे नजरों से मैं
नैना थम चुकी जो उस प्यार के पल में
हमेशा वो जीने की चाह रही है
ख्वाहिश को दिल के आँगन आने दो
एक शरारत करने दो !

जो हो हाथों में तेरा हाथ कभी
बाहों में भरने की चाह रही है
एक छोटी सी चुम्बन तेरे माथे पे
कब से देने की चाह रही है
चुम्बन के उस प्यार के एहसास को
तेरे होने की चाह रही है 
ये जो हक है , अधिकार है
ये जो इज्जत है , विश्वास है
है मेरा मगर , तेरा भी उतना है
मेरा अभिमान को तेरा होने की चाह रही है
वक्त गुजर जाए , इससे पहले कुछ तो करने दो
एक शरारत करने दो !

लट को आँखों पे गिरते देखा हूँ
तुम्हें उसे सँभालते देखा हूँ
हाथ फिरे जब जब तेरे गालों पर
लटों को अपना बनते देखा हूँ
हो जो नजरें यूँ पास पास
साँसों को तेज होता देखा हूँ
होकर नजरों के इतने पास
खुद को असहज होते देखा हूँ
पर, साँसों की गर्मी जो एक दूजे को बाँध जाए
तोड़ बंधनों को लब जो लब के पास आ जाए
फिर लबों को चूमकर अपना बनाने दो
एक शरारत करने दो  !

इस उम्र में थोड़ा लड़कपन तो करने दो
एक शरारत करने दो !

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