Tuesday 19 June 2018

इश्क को समझो .....

नदियों को पता है मंजिल समुन्दर है 
मगर प्यार किनारों से सफर भर करती है 
समुन्दर को पता है लहरों पे हक़ नहीं उसका 
मगर फिर भी नुमाइश उम्र भर करता है 

चाँद को देखो , चाँदनी भी उसकी नहीं 
फिर भी रौशन रातों को करती है 
बारिश को देखो , प्यार आसमां से कर भी 
तृप्त धरा को ही करती है 

हवा चाहकर भी खुद को रोक नहीं सकता 
फूल चाह कर भी सुगंध छुपा नहीं सकता 
ये दिल है , आना किसी पर लाजिमी है 
दिल चाह कर भी खुद को रोक नहीं सकता 

कौन कहता है , किसी को प्यार कर 
प्यार को पाना जरूरी है 
प्रकृति ने प्यार को निभाना सिखाया है 
यूँ कह देने से कोई वफा-बेवफा नहीं हो जाता 
इश्क को समझो , इश्क ने हमेशा ही 
दूसरों के लिए जीना सिखाया है !

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