Tuesday 15 January 2019

समय....

समय है , रुकता कहाँ है ,
मंजिल का पता नहीं मगर , 
फिर भी चलता है , 
हाँ , निरंतर चलता है। 

कोई नाम नहीं मिला ,
कोई पहचान नहीं मिला ,
सबने यही कहा , समय है , 
हाँ सच है , ये समय है। 

किसी ने अपना नाम नहीं दिया ,
मगर बाँट दिया इसको भी देखो , 
जो बीत गया भूत वो, जो है वो वर्तमान 
जिसका पता नहीं , वो है भविष्य। 

कुछ ने फिर से इसे बाँटा ,
किसी ने सुख किसी ने दुःख में बाँटा ,
बाँटा , अपने हिसाब से सबने बाँटा ,
मगर पूछा न कभी इससे इसका राय कभी। 

ये समय जो है न , समय है ,
हमसे ज्यादा दुनिया देखा है इसने ,
हम सब के स्वार्थ को चखा है इसने ,
शायद , इसलिए ठहरता नहीं किसी के पास। 

समय जो है न , अक्षर है ,
जो शाश्वत है , अक्षय है , 
मुसाफिर है हमारे सफर का ,
बस गंतव्य भर का साथी है। 


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