Thursday 6 August 2015

कैसा असर है ये तेरा ...........

कैसा असर है ये तेरा ...........

                        -अभिलाष कुमार पासवान
तन्हा ये ज़िंदगी अब कटती नहीं ,कैसा असर था तेरा 
होकर भी ना हूँ खुद का बिन तेरे , कैसा असर है ये तेरा 

कटती नहीं ये पल ज़िंदगी के , कैसे बताऊँ अब तुझे 
है गुज़ारिश बस इतनी सी , थोड़ा सहारा दे दे मुझे 
होगी ना कोई शिकायत खुदा से, जो होगी तू संग मेरे 
तू ही आरज़ू ,तू ही जुस्तजू , तू ही है ख्वाब मेरे 

हाल बयां करे क्या ये दिल , हुआ है दीवाना तेरा 
बदल गया है तेरा होकर, रहा ना अब ये मेरा 
संभालना अमानत समझ इसे, तोहफा ये मेरा तुमको 
तेरे चेहरे ने दिल का रोग लगाया , भूलूँ कैसे तुमको  

बस रूकती ना जुबां कभी करने तारीफ़ को बयां 
आँखें तरसती है आज भी, करने शायरी को बयां
इस नज़र ने तुमसे खूबसूरत कुछ ना देखा जहाँ में 
कैसा जादू ये तेरा, पाया ना दिल कभी ऐसा जुनून  जहाँ में

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