Friday 12 September 2014

वो  लड़की ………… 

                                          -अभिलाष कुमार पासवान 

थी नज़र उपवन की सुमन पे , तभी दिखी मुझे वो लड़की ,
हल्की सी मुस्कराहट  कितनी प्यारी उसकी , भा  गयी मुझे वो लड़की ;
ना कोई उमंग , न कोई जुनून प्यार का, था इस दिल में,
बस अपनी लबोँ  पे ला हंसी , मुझको दीवाना बना गयी वो लड़की ;

उसके चेहरे का नूर बड़ी प्यारी है , उससे भी प्यारी लगती वो लड़की ,
उसके दो आँखोँ  में  दिखती शरारत ,नज़रें चुराकर कायल कर गयी वो लड़की ;
क्या यही है दीवानगी , यही है  आशिक़ी , पुछूं   हर बार दिल से ,
उसकी  मुस्कराहट सितम ढा  गए , मुझे आकर्षित कर गयी वो लड़की ;

अब जो नींद आ जाये गर , सपनोँ में  भी दिखती वो लड़की,
रहे जो अब आँखेँ खुली , नज़र को सामने चाहिए वो लड़की;
ये तो बस मेरे दिल का हाल है , उसके दिल की खबर नहीं यहाँ ,
खुद की हालत कितनी भी बिगड़ जाये , हमेशा सोचता रहता कैसी होगी वो लड़की;

देख के उसके गोरे गालोँ को , मानो स्पर्श करने बुलाती वो लड़की,
वो ओठो की मीठी लाली, मानो चूमने को पास बुलाती वो लड़की;
रूप की उसकी क्या व्याख्या करे कोई , उससे ज्यादा कोई रूपवान नहीं ,
प्रकृति की शीतल छाया उसके चेहरे पे , मानो  छॉंव देने पास बुलाती वो लड़की ;

आँखो में जो ना हो काजल उसके , मानो अधूरी है वो लड़की ,
बहुत ही भोली सूरत है उसकी , बड़ा ही मनभावन है वो लड़की;
कैसे जगा गयी एक एहसास वो इस दिल में , शायद उसे भी पता नहीं ,
भीड़ में  तन्हा हो जाता हूँ , गर फ़िर कभी याद आ जाए वो लड़की;

ढूँढ लूँ दुनिया में चाहे जितनी हसीना , पर खूबसूरत है वही एक वो लड़की ,
है औरोँ  से बिल्कुल जुदा , है बड़ी ही सादगी की कशिश वो लड़की;
बन ना जाए कहीँ मेरी कशिश , चाहता दूर रहे वो हरपल मुझसे ,
दिल भी है मज़बूर बड़ा , चाहूँ  जितना दूर करना , उतनी ही पास आती वो लड़की;

अब तो बस चैन गुम  गए ,अर्धनिद्रा  में  ला  चुप हो गयी वो लड़की,
उसके चंचल मन के सामने ,दिल हार गया , मेरी आशिकी बन गयी वो लड़की;
कल क्या होगा किसने जाना , पर हमेशा ये दिल ढूँढेगा वो लड़की ,
ये दिल ढूँढेगा वो लड़की ....… 

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