This blog is dedicated to Hindi poetry by Mr. Abhilash Kumar Paswan.
Friday 19 September 2014
बस यूँ ही .......
पूछते लोग खुद से सदा चाहिए क्या मुझे इस जग से ,नंगे से अस्तिव , और नंगे से ही मोक्ष , है सही यह सात्विक ज्ञान ; क्या पाया क्या खोया से सिमट रह गयी जिंदिगी ये सारी, पल के वो प्रकाश, "शायद अरमान ", रह गयी अधूरी वो मार्मिक ज्ञान।
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