है हकीकत कुछ और पर बयां सही वो कर न पायी
जख्म पर मरहम देने हलकी मुस्कराहट अपने लबोँ पे लायी
फ़र्ज़ और गरिमा की बात अशोभनीय थी उस वक्त, पर कौन उसे समझाए
उसे क्या पता उसकी नाराज़गी इस हस्ती खेलती ज़िन्दगी मैं फिर से मयूषी ले आई.…
आज फिर से मयूषी ले आई.…
जख्म पर मरहम देने हलकी मुस्कराहट अपने लबोँ पे लायी
फ़र्ज़ और गरिमा की बात अशोभनीय थी उस वक्त, पर कौन उसे समझाए
उसे क्या पता उसकी नाराज़गी इस हस्ती खेलती ज़िन्दगी मैं फिर से मयूषी ले आई.…
आज फिर से मयूषी ले आई.…
heart touching abhilash!!!
ReplyDeleteno cmt plz....
DeleteRomantic Paswan
ReplyDeleteitna jaldi pata chal gaya.....
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