Thursday 22 May 2014

paleo

है हकीकत कुछ और पर बयां सही वो  कर न पायी
जख्म पर मरहम देने हलकी मुस्कराहट अपने लबोँ पे लायी
फ़र्ज़ और गरिमा की बात अशोभनीय थी उस वक्त, पर कौन उसे समझाए
उसे क्या पता उसकी नाराज़गी इस हस्ती खेलती  ज़िन्दगी मैं फिर से मयूषी ले आई.…
आज फिर से मयूषी ले आई.…

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