Friday 18 May 2018

वो शब्द मेरे कहते हैं ....

जो ना हम कह पाए
वो शब्द मेरे कहते हैं
जो ना हम जी पाए
वो शब्द मेरे कहते हैं

उलझनों का है एक कारवाँ
विचारों का है एक कारवाँ
बीच में मैं यूँ फँसकर
असमंजस में यूँ फँसकर
कह दिया हूँ कुछ मगर
फिर भी कुछ ना कहा
अब जो बचे खुचे हैं
वो शब्द मेरे कहते हैं

तुम भी समझो जो कहते हैं
जियो जैसे शब्द मेरे जीते हैं
जो ना हम कह पाए
वो शब्द मेरे कहते हैं !

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