Saturday 12 May 2018

रह गयी फिर

रह गयी फिर ,
फिर वो लम्हें अधूरी , वो बातें अधूरी
तुम अधूरी , तुम्हारी बातें अधूरी

तुम भी हो , मैं भी हूँ , कुछ है मगर
ना पूरा मैं समझा , ना तुम समझ पायी
कुछ था , जो कहना था , सिर्फ तुमसे
कुछ कह गए , कुछ रह गए
और रह गयी फिर ,
दो साँसों की गुफ्तगू अधूरी

नासमझ तुम भी हो , नासमझ मैं भी हूँ
बेवजह तुम भी हो , बेवजह मैं भी हूँ
मगर जो है , कुछ है , दिल का है
थोड़ा तुमसा है , थोड़ा मुझसा है
है हम दोनों के ही दिल में है
मगर अधूरा है , हाँ अधूरा है

सखा है कोई तुम्हारा , रागिनी है कोई मेरी
जो शिकवा है तुम्हारा , वो इल्तजा है मेरी 
है , स्पष्ट है मगर , अनजाना सा राज है
खबर है तुमको भी , खबर है मुझको भी
फिर भी वो राज है ,  बस वही एक बात है
कितने कर गए , कितने जी गए
मगर रह गयी फिर भी
हमारी वो पहचान अधूरी 

रह गयी फिर ,
मेरी बातें , मेरी आरजू
मेरे ख्वाब , मेरे ख्याल
फिर से , फिर से अधूरी !!

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