Thursday 11 January 2018

शायद इसलिए तुमसे ही प्यार हो गया !

ना जाने कब, कैसे, तुमसे प्यार हो गया
सबसे अच्छी , प्यारी दोस्त थी तू मेरी
शायद इसलिए तुमसे ही प्यार हो गया !

प्यार हो गया , हाँ तुमसे प्यार हो गया
मगर अब वो दोस्ती कहीं खो गया
बदल गया ना कितना कुछ , दोस्ती से प्यार के सफर में
तुम भी बदल गयी, मैं भी बदल गया


कभी चिढ़ना, कभी चिढ़ाना , अच्छा लगता था ना
वो बेवजह के झगड़े , बड़ा प्यारा लगता था ना
खुद में उलझते थे , मगर दूसरों का सुलझाते थे
तू-तू मैं-मैं को वो जिद अपना, सच्चा लगता था ना 
मगर प्यार में ना जाने कब वो सब कुछ खो गया
 तुम भी बदल गयी, मैं भी बदल गया
शायद इसलिए तुमसे ही प्यार हो गया ! 

प्यार तो हो गया तुमसे, मगर एकतरफा
मैंने तो मान लिया मुकद्दर, मगर एकतरफा
जज्बात भी पले-बढ़े , मगर एकतरफा
और एक कहानी बनी भी , मगर एकतरफा

प्यार को अपनाया तो दोस्ती बुरा मान गयी
जो टूटकर चाहा तुझे , तू और दूर हो गयी
जिसपे था नाज , वही दगा दे गए
शिकायत क्या करूँ, अब तो तू भी अजनबी हो गयी

मगर क्या करूँ अब , ये दिल भी तो मानता नहीं
तेरे सिवा अब कोई भाता भी तो नहीं
माना की बहुत बुरा कर दिया , तुम्हें चाहकर
ये भी सच है की हम अजनबी हो गए तुम्हें चाहकर

अब क्या बताऊँ , इस एकतरफा इश्क में दर्द बहुत है
वक्त के साथ ये जवां भी तो होता बहुत है
तुम्हें भले ही परवाह नहीं मेरी , पर मैं कैसे छोड़ दूँ
साँस का रिश्ता तो धड़कन से जुदा होता नहीं है

तेरी खूबसूरती का शायद ये नजर कायल हो गया
शायद इसलिए तुमसे ही प्यार हो गया !

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