Wednesday 17 January 2018

यूँ ही किसी से रिश्ते नहीं तोड़ते !

सफर में साथ चलते , साथ नहीं छोड़ते
यूँ ही किसी से रिश्ते नहीं तोड़ते !

क्या रिश्ते बनाने जरूरी हैं
क्या रिश्ते निभाने जरूरी हैं
क्या रिश्तों को नाम देना जरूरी है
क्या रिश्तों का सम्मान जरूरी है
पूछ लिया होता इन सबको खुद से
शायद तुम्हें एक नाम मिल जाता
किसी के दिल में रहने का पहचान मिल जाता
सफर में साथ चलते , जज्बात नहीं छोड़ते
यूँ ही किसी से रिश्ते नहीं तोड़ते !

वादों का क्या, जो कभी किये थे
यादों का क्या , जो मिलकर जिये थे
बस थक कर यहाँ , चलना नहीं छोड़ते
यूँ ही किसी से रिश्ते नहीं तोड़ते !

आँखों में जो कोई बसता था
बातें करते जो संग जगता था
कुछ था , गजब का था
कुछ ऐसा हर पल लगता था
खुलना अच्छा लगता था
उनमें घुलना अच्छा लगता था
हर बंदिश के वाबजूद,  संग उसके
 पागल होना अच्छा लगता था
बस यूँ ही वो पागलपन छोड़ा नहीं करते
यूँ ही किसी से रिश्ते नहीं तोड़ते !

कल क्या होगा , बस यही डर है
खुलकर जीने के लिए, कल की परवाह नहीं करते
यूँ ही किसी से रिश्ते नहीं तोड़ते !

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