ये दिल कुछ हाल बयां करना चाहता है …………………
-अभिलाष कुमार पासवान
ये दिल कुछ हाल बयां करना चाहता है ;
कोरे काग़ज़ पे कुछ लिखना चाहता है ;
उलझन बनकर है जो सामने खड़ा , बयां करना चाहता है।
ये दिल कुछ हाल बयां करना चाहता है ;
बीते दिनोँ में बिताए लम्हें को याद करना चाहता है ;
गुज़रे थे जो वो हसीँ पल , उन पलो को फिर जीना चाहता है ;
ना चाहता मरे वो चाहत दिल से , उसे जवां करना चाहता है ;
बीतते गए पल , कटते गए दिन , हर लम्हा मिला एक कशिश ;
जो ना था हिस्सा ज़िन्दगी का , जाने कैसे बन बैठा कशिश ;
यूँ तो है आज सबकुछ जीने को , पर आड़े खड़े है वो कशिश ;
इन बातो को भूला , ज़िन्दगी फिर ज़िन्दगी चाहता है।
ये दिल कुछ हाल बयां करना चाहता है ;
अपनी कुछ पहेली को किसी को बताना चाहता है ;
दर्द बनकर जो चुभ रही , उस दर्द को बयां करना चाहता है।
ये दिल कुछ हाल बयां करना चाहता है ;
अपने उस खूबसूरत कहानी को एक नाम देना चाहता है ;
अपने दिल की उस रानी को एक पहचान देना चाहता है ;
कल जो झोँके से उड़ गए थे , उसमे एक आशियाना चाहता है ;
ना चाहता कोई करे सवाल , हर सवाल दिया है एक दर्द ;
बस एक बार मिलने की चाह में , तरपाया बहुत है ये दर्द ;
यूँ तो जिस्म का हर दर्द सह लेता हूँ , सहन ना होता दिल का दर्द ;
शायद अपनी उस दिल के दर्द को दिल बयां करना चाहता है।
ये दिल कुछ हाल बयां करना चाहता है ;
अपने अच्छे बुरे अनुभवो को फरियाद करना चाहता है ;
ना चाहता रहे कोई कशिश , बनने को कोई दर्द ;
हर नजरिया से दूर जा , एक इश्क़ बयां करना चाहता है ;
ये दिल कुछ हाल बयां करना चाहता है ;
ये दिल कुछ हाल बयां करना चाहता है ;
ये दिल ……………………… बयां करना चाहता है ;
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