ये हवा का दामन थामकर उड़ा है
ये निगाहें भी बेबस होकर खड़ा है
कोई जाओ संदेशा पहुँचा दो उनको
ये जो दिल है अब भी जिद पे अड़ा है
ना माँगा कुछ , ना चाहिए कुछ
ना कोई शर्त रखी , ना बोला कुछ
नुमाइश की , गुजारिश की
उनपे फक्र किया , ऐतबार किया
मगर सच्चे दिल की तालीम उसे कहाँ
कोई कह दो उनको जुनून फिर से उमड़ा है
ये जो इश्क है फिर से अपनी जिद पे अड़ा है
कसमें , वादें , वफा , सब बेकार है
जो कद्र नहीं तो सब ही निराकार है
कोई समझे , समझाए आखिर कब तक
एक तरफा रिश्ता निभाए आखिर कब तक
जज्बात आधार है , रिश्तों का करार नहीं
कोई जाओ बता तो उनको वक्त हम सबसे बड़ा है
ये अपने कैंची से रिश्तों को कुतरने बेसब्री से खड़ा है
एहसास के आलिंगन में कुछ तो सीख जाओ
जो मिला है मौका फिर तो जीत जाओ
सामने होकर भी जुबां खामोश खड़ा है
टूटा हुआ इश्क दूर जाने को खड़ा है !
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