Tuesday 16 June 2015

तुझे और मोहब्बत करूँगा मैं ……

तुझे  और मोहब्बत  करूँगा मैं …… 

               -अभिलाष  कुमार पासवान 


 तेरी  बेपरवाहियाँ  , मेरी गुस्ताखियाँ 
ना  भूलूँगा  मैं ;
भागना दूर तेरा  मुझसे , फिर मेरे ही पास आना 
ना भूलूँगा मैं ;
शिकवे भी मुझसे , शिकायत भी मुझसे 
तेरे हर इल्ज़ाम को सहूँगा मैं ;
तुझे  और मोहब्बत  करूँगा मैं ……


तेरा चोरी छुपे मुझे देखना , दोस्तों से पूछना 
सामने आने पर तेरी धड़कनों का तेज़ होना ;
अब उसे महसूस करूँगा मैं ;
तुझे  और मोहब्बत  करूँगा मैं ……


जाते हुए तेरा पलट कर देखना , तेरा मुस्कुराना 
ना भूलूँगा मैं ;
देख मुझे तेरा पागल होना , बचकानी हरकतों से बाज़ न आना 
ना भूलूँगा मैं ;
प्यार था मुझसे , पर इज़हार का डर था 
तेरी डर से मोहब्बत करूँगा मैं ;
तुझे  और मोहब्बत  करूँगा मैं ……


तेरा  हवा से बातें करना , पंछियों के तरह चहकना 
गंभीरता को छोड़ ,तेरा बच्चों की तरह जीना ;
तेरे उस पागलपन को दोहराहूँगा मैं ;
तुझे  और मोहब्बत  करूँगा मैं ……


रूठे को मनाने की कला सीखाना  ,तवज़्ज़ों  को पढ़ना सीखाना 
दिल और दिमाग की उलझन से परे जीना , खुद से प्यार करना सीखाना 
तेरी बातों -बातों पर इठलाना , फिर मुस्कुराना ;
ना भूलूँगा कभी , ना भूलूँगा तुझे मैं ;
तुझे  और मोहब्बत  करूँगा मैं ……


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