तुझे और मोहब्बत करूँगा मैं ……
-अभिलाष कुमार पासवान
तेरी बेपरवाहियाँ , मेरी गुस्ताखियाँ
ना भूलूँगा मैं ;
भागना दूर तेरा मुझसे , फिर मेरे ही पास आना
ना भूलूँगा मैं ;
शिकवे भी मुझसे , शिकायत भी मुझसे
तेरे हर इल्ज़ाम को सहूँगा मैं ;
तुझे और मोहब्बत करूँगा मैं ……
तेरा चोरी छुपे मुझे देखना , दोस्तों से पूछना
सामने आने पर तेरी धड़कनों का तेज़ होना ;
अब उसे महसूस करूँगा मैं ;
तुझे और मोहब्बत करूँगा मैं ……
जाते हुए तेरा पलट कर देखना , तेरा मुस्कुराना
ना भूलूँगा मैं ;
देख मुझे तेरा पागल होना , बचकानी हरकतों से बाज़ न आना
ना भूलूँगा मैं ;
प्यार था मुझसे , पर इज़हार का डर था
तेरी डर से मोहब्बत करूँगा मैं ;
तुझे और मोहब्बत करूँगा मैं ……
तेरा हवा से बातें करना , पंछियों के तरह चहकना
गंभीरता को छोड़ ,तेरा बच्चों की तरह जीना ;
तेरे उस पागलपन को दोहराहूँगा मैं ;
तुझे और मोहब्बत करूँगा मैं ……
रूठे को मनाने की कला सीखाना ,तवज़्ज़ों को पढ़ना सीखाना
दिल और दिमाग की उलझन से परे जीना , खुद से प्यार करना सीखाना
तेरी बातों -बातों पर इठलाना , फिर मुस्कुराना ;
ना भूलूँगा कभी , ना भूलूँगा तुझे मैं ;
तुझे और मोहब्बत करूँगा मैं ……
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