Thursday 5 January 2017

वक्त ! बस वक्त है

- पासवान की कलम से 

वक्त चलता है -
सफर से पहले , सफर के बाद तक 
ज्ञान से पहले , ज्ञान के बाद तक 
मगर , खामोशी संग !

वक्त अजेय है -
कालांतर के युद्ध में
स्वयुद्ध में 
मगर , गुमान नहीं !

वक्त लंबी है -
इंतजार तक और समर्पण तक 
निभाने तक और समझने तक 
मगर , सीमित है !

वक्त विरोधाभास है -
विचारों की शैली में 
एहसासों के स्पंदन में 
मगर , भाव-विहीन !

वक्त कर्मठ है -
संघर्ष से वजयी तक 
चेतना से उमंग तक 
मगर , श्रेय लेता नहीं !

वक्त ! बस वक्त है 
किसी का मोहताज नहीं !

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